मृत्यु


मिट्टी से मिलकर के मिट्टी

हो जाती है मधुहाला,

मादकता भी रूप बदल कर

बन जाती है मृगछाला,

साकी अंतस से बैरागी

होकर इत-उत फिरता है,

और चिरंतन नम होकर के

रह जाती है मधुशालाI

-पीयूष यादव

 

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लगती सुन्दर मधुशाला


जीवन के हर एक पहलू का अपना आकर्षण होता है..

 

मदिरालय में जितनी मोहक

है मन को मादक हाला,

उतने ही आकर्षक मधु के

घट हैं औ’ साकीबाला,

जिसने जीवन के जितने प्रिय

आकर्षण चखकर देखे,

उसको उतनी ही सुन्दर है

लगती जीवन मधुशालाI

-पीयूष यादव

 

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आओ मेरी मधुशाला


कौन यहाँ मंदिर है जिसमें

रहता है बंसी वाला,

काबा में मत बतलाओ तुम

रहता है अल्ला ताला,

मुझसे रोज़ मिला करते हैं

दोनों आकर ख्वाबों में,

तुम को भी मिलवा दूँगा तुम

आओ मेरी मधुशालाI

-पीयूष यादव

 

In no temple does Krishna live, neither does Allaha live in Kaba. They live in my thoughts, in my dreams. Come to my Madhushala, I will introduce you to them.
-Peeyush Yadav

 

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अंतिम पग


अपने नज़दीक लोगों को हमेशा के लिए दूर जाते और बिछुड़ते देखा…

 

अंतिम पीड़ा, अंतिम भय है

रस्ते का अंतिम पाला,

ध्यान मग्न, अहसास हीन है

बेखुद सबसे मतवाला,

सारे बंधन, सारे मज़हब

धीरे धीरे टूट रहे,

अन्जान क्षितिज पर डूब रही

पल-पल जीवन मधुशालाI

-पीयूष यादव

 


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