असमंजस में..


आसक्ति में और ना कुछ बस

छिपी अश्रुओं की हाला,

पर एकाकी जीवन तो है

मधु से रीता इक प्याला,

सन्नाटे औ’ कोलाहल में

इसे चुनूँ या उसे चुनूँ,

भीतर मूक तमा है भीषण

बाहर बहकी मधुशालाI

-पीयूष यादव

मूक तमा – चुप अँधेरा

 

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6 Comments, Comment or Ping

  1. आप बहुत ही सुन्दरता से मधुशाला को नवीन रूप दे रहे हैं.

    January 6th, 2010

  2. rashmi prabha

    क्या खूब कही है मधुशाला…

    January 7th, 2010

  3. Rajanikant Yadav

    बड़ी ही मधुर है ,आप की मधुशाला

    January 16th, 2010

  4. Urmi

    आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत ही सुन्दर मधुशाला है!

    January 21st, 2010

  5. सच कहा है

    पर एकाकी जीवन तो है
    मधु से रीता इक प्याला,

    January 21st, 2010

  6. बहुत ही सुंदर और अनोखा अंदाजे बयां है आपका

    January 26th, 2010

Reply to “असमंजस में..”

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