लगती सुन्दर मधुशाला


जीवन के हर एक पहलू का अपना आकर्षण होता है..

 

मदिरालय में जितनी मोहक

है मन को मादक हाला,

उतने ही आकर्षक मधु के

घट हैं औ’ साकीबाला,

जिसने जीवन के जितने प्रिय

आकर्षण चखकर देखे,

उसको उतनी ही सुन्दर है

लगती जीवन मधुशालाI

-पीयूष यादव

 

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3 Comments, Comment or Ping

  1. Brajesh Kumar

    बेहतरीन…बहुत उम्दा पीयूष जी।

    November 22nd, 2009

  2. यूं ही लिखते रहिये जनाब……. मधुशाला के इस रस को पीने वालों की कोई कमी नहीं…….:-)

    साभार
    प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
    हमसफ़र यादों का…….Humsafar Yaadon Ka

    November 23rd, 2009

  3. sheetal bohra

    बच्चन जी का पुनर्जन्म तो नहीं?

    बेहतरीन..

    December 9th, 2009

Reply to “लगती सुन्दर मधुशाला”

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