सुनकर के भी जान न पाया
राज़े-निहाँ भोलाभाला,
एक ज़रा-सी जुम्बिश में ही
भाँप गया जो मतवाला,
खूब सिखाया गुरुकुल ने है
पढ़ना, लिखना, बतियाना,
अफ़साने सिखलाएगी सब
सुनना तुमको मधुशालाI
-पीयूष यादव
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6 Comments, Comment or Ping
बहुत खूब जनाब……. छा गए……. :-)
November 16th, 2009
@प्रशांत – शुक्रिया! :)
November 16th, 2009
Madhushala se prerit hokar aapne jo silsila shuru kiya hai uska rang jancha. Kya behtar hota ki aapke is blog par aapke prernasrot Bachchan ji ki bhi chavi viraajmaan hoti.
November 19th, 2009
खूब सिखाया गुरुकुल ने है
पढ़ना, लिखना, बतियाना,
अफ़साने सिखलाएगी सब
सुनना तुमको मधुशालाI
सुनना किसी पाठशाला में नहीं सिखाया गया… बहुत सुन्दर ..
November 19th, 2009
धन्यवाद मनीष जी, ये सिलसिला यूँ ही कायम रखने के प्रयास करूंगा. आपका सुझाव अच्छा है, प्रयत्न करूँगा की उचित जगह छायाचित्र डाल सकूँ.
November 22nd, 2009
जी हाँ, सारा ध्यान पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाने पर ही है. धन्यवाद राहुल जी.
November 22nd, 2009
Reply to “अफ़साने सुनना…”