कौन यहाँ मंदिर है जिसमें
रहता है बंसी वाला,
काबा में मत बतलाओ तुम
रहता है अल्ला ताला,
मुझसे रोज़ मिला करते हैं
दोनों आकर ख्वाबों में,
तुम को भी मिलवा दूँगा तुम
आओ मेरी मधुशालाI
-पीयूष यादव
In no temple does Krishna live, neither does Allaha live in Kaba. They live in my thoughts, in my dreams. Come to my Madhushala, I will introduce you to them.
-Peeyush Yadav
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12 Comments, Comment or Ping
जल्दी में देखा है,बहुत प्रभावी बन पड़े हो. कभी फुर्सत में लम्बा बतियाएंगे !
November 11th, 2009
अच्छी कविता मिलने के लिये मधुशाला है ।
November 11th, 2009
@ संतोष
बहुत शुक्रिया.
@विनय
अच्छी कवितायें मधुशाला में ही हैं. नई नवेली मधुशाला एक साधारण-सा नमन मात्र है मधुशाला कोI
November 12th, 2009
अच्छा प्रयास है
November 12th, 2009
nice
November 13th, 2009
लीजिये आखिरकार आ ही गए हम आपकी मधुशाला में……. आपका प्रयास अनूठा एवं रचनात्मक है….. दोनों मधुशाला को मेरा नमन है….
November 13th, 2009
@Lovely धन्यवाद..
November 14th, 2009
बहुत अच्छा हैं
November 14th, 2009
आपके सारे कविताएं मुझे अच्छी लगी… बहुत समय बाद कुछ ऐसा सुनने वह पड़ने मिला है|
आपका ब्लॉग भी काफी आकर्षक लगा, कृपया लिखना जारी रखे|
मेरी टूटी हुई हिंदी के लिए क्षमा :)
~केशरी
November 14th, 2009
Thanks Keshri!
November 15th, 2009
मधुशाला को अपनी श्रद्धांजलि अप्रित करने का ये बहुत ही नायब तरीका ढूँढा है आपने :)
अच्छा लगा पढ़ कर…..मैं वापस आऊंगा….मैं वापस आऊंगा…आपकी मधुशाला में मैं वापस आऊंगा :)
November 18th, 2009
आप जैसे रिन्दों से ही मधुशाला का वजूद है राहुल राकेश जी. मेरी नन्हीं सी मधुशाला में आप का स्वागत है.
November 19th, 2009
Reply to “आओ मेरी मधुशाला”